तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
शिव भजन
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी shiv chalisa in hindi स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण Shiv chaisa में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
शिव आरती